जीवन यात्रा
है प्राण तो साँस तो चलती रहेगी
है साँस तो देह को रोकना नहीं।
बुद्धि अगर हो जाए भी भ्रमित कभी
कर्म दूषित होने देना नहीं।
है पंख तो आकाश मन छूता ही है
है पंख नहीं तो यात्रा कभी रोकना नहीं।
मन ही है निराश तो कभी होगा ही
कर्म से कभी निराश होने देना नहीं।
है गुरु तो शिक्षा तो देगा ही
है ज्ञान पर तो अभिमान कभी करना नही.
है रंग अगर तो श्याम-स्वेत होंगे ही
अभिमान में ज्ञान काला करना नहीं।
जो देह को रुकने तुमने न दिया
ज्ञान काले से जो कर्म दूषित न किया
कर्म से निराश होगा न कोई
इस यात्रा का परिणाम सुखद होगा तभी।